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इंतज़ार रंगों का

>> Thursday 14 June 2012



चाँद ने आज कोई 
साजिश की है 
चाँदनी भी आज 
कहीं दिखती नहीं है 
मन की झील पर 
जो अक्स बना था
उसकी रंगत भी 
अब खिलती नहीं है ,
कर रही हूँ इंतज़ार 
नन्ही सी किरण का 
ये भोर भला अब 
क्यों होती नहीं है 
आसमां की रंगत कुछ 
धूमिल सी है 
बादलों की स्याही 
कुछ कहती नहीं है 
कहाँ से लाऊं  मैं 
वो इंद्र्धनुष 
रंगों की सुर्खी भी 
मन रंगती नहीं है ॥ 



49 comments:

ऋता शेखर 'मधु' Thu Jun 14, 08:57:00 am  

सुंदर नज़्म...थोड़े निराशा के रंग हैं:(?

रश्मि प्रभा... Thu Jun 14, 09:45:00 am  

थक कर छाँव न मिले तो विरक्ति बढ़ती जाती है ... कोयल की कूक भी कर्कश लगती है

प्रतिभा सक्सेना Thu Jun 14, 10:03:00 am  

कभी-कभी ऐसा उचाट हो जाता है मन कि कुछ अपने अनुसार लगता ही नहीं !

मनोज कुमार Thu Jun 14, 10:51:00 am  

चांद जब अपनी नेह की चांदनी बरसाना छोड़ दे, वह भी किसी साजिश के तहत तो मन के इन्द्रधनुष का रंग उतर जाना स्वाभाविक है।

Maheshwari kaneri Thu Jun 14, 10:58:00 am  

सब कुछ विपरीत सा है...कुछ और रंगो की तलाश करनी होगी..

अशोक सलूजा Thu Jun 14, 11:06:00 am  

आपकी मनचाही रंगत वापस आए ......
शुभकामनाएँ!

ashish Thu Jun 14, 11:13:00 am  

हताशा साफ झलक रही है . फिजाओं में रंग फिर वापस हो ऐसी दुआ है .

ANULATA RAJ NAIR Thu Jun 14, 11:30:00 am  

चांदनी शायद उतर कर आपकी खिड़की पर बैठी है......
इन्द्रधनुष आपके आँगन के झूले में झूल रहा है....
सूरज छिपा बैठा है तुलसी के चौरे के पीछे....
देखिये तो सही ज़रा मुस्कुरा कर...............
:-)

vandana gupta Thu Jun 14, 12:07:00 pm  

उम्र के एक मोड पर आकर हर रंग फ़ीका पडने लगता है…………शायद तभी यही निकलता है।

shikha varshney Thu Jun 14, 12:30:00 pm  

इन्द्रधनुष हमारी नजरों पर निर्भर करता है.यह मनोदशा कुछ समय की है.जल्दी ही सारे रंग दिखेंगे :)
अभिव्यक्ति जानदार है हमेशा की तरह.

सदा Thu Jun 14, 12:49:00 pm  

कुछ रंग दुआओं का असर लाएगा ... मन का हर कोना रोशन हो जाएगा ... तब ये इंतजार भी खत्‍म हो जाएगा ... आभार बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिए ।

मेरा मन पंछी सा Thu Jun 14, 12:54:00 pm  

चाँद की साजिश है
आपको शीतल चांदनी देने की...
झरने भी कल- कल करते
बहने लगे है....
आपको मधुर
आवाज सुनाने को....
खिल रहा है सूरज भी...
सुनहरी सुबह देने को....
अम्बर भी बहका - बहका है..
आपको बहकाने को..
मधुर- मधुर चिडियों की बोली..
सतरंगी मयूरों की टोली..
आई रंग फ़ैलाने को...
:-) :-)

Pallavi saxena Thu Jun 14, 01:26:00 pm  

"वो भी एक दौर था,
यह भी एक दौर है"
जैसे से वो वक्त गुज़र गया वैसे ही यह वक्त भी गुज़र ही जाएगा। क्यूंकि,
"जिस तरह अच्छे वक्त की एक बुरी आदत होती है, की वो गुज़र जाता है
ठीक उसी तरह बुरे वक्त की भी एक अच्छी आदत होती है कि वो भी गुज़र ही जाता है"जानदार अभिव्यक्ति ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया Thu Jun 14, 01:49:00 pm  

कहाँ से लाऊं मैं
वो इंद्र्धनुष
रंगों की सुर्खी भी
मन रंगती नहीं है ॥

बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,बेहतरीन अभिव्यक्ति की खूबशूरत रचना ,,,,

MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,

डॉ टी एस दराल Thu Jun 14, 01:52:00 pm  

मन की व्यथा का सुन्दर वर्णन .
पर ये उदासी क्यों ?

Sadhana Vaid Thu Jun 14, 02:36:00 pm  

चाँद की साज़िश भी खत्म होगी, भोर भी होगी और इन्द्रधनुष के सतरंगी रंगों से मन भी खिल उठेगा आप हौसला तो रखिये ! बहुत कोमल सी रचना है ! मन को कहीं गहराई तक छू गयी ! बहुत सुन्दर !

Yashwant R. B. Mathur Thu Jun 14, 03:22:00 pm  

बहुत ही बढ़िया आंटी


सादर

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') Thu Jun 14, 03:34:00 pm  

सुन्दर नज्म दी...
सादर.

रेखा श्रीवास्तव Thu Jun 14, 03:39:00 pm  

मन के भावों के अनुसार ही प्रकृति के रंग भी बदल जाते हैं. प्रसन्नचित्त होने पर जो कोयल की कूक सुमधुर लगती है अपने मन के ग़मगीन होने पर वही कर्कश लगाने लगती है लेकिन ये स्थिति भी एक सी नहीं रहती . मन के भावों के अनुरुप रचना के लिए आभार !

Amrita Tanmay Thu Jun 14, 04:40:00 pm  

चाँद की साजिश या फिर मन की ही कोई साजिश है..सुन्दर रचना..

M VERMA Thu Jun 14, 06:42:00 pm  

मनोदशा और एहसास विरक्त क्यूं

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' Thu Jun 14, 06:45:00 pm  

बहुत सुन्दर भावप्रणव अभिव्यक्ति।

kshama Thu Jun 14, 08:05:00 pm  

Laga jaise aapne mere man kee baat kahee hai!

प्रवीण पाण्डेय Thu Jun 14, 08:25:00 pm  

जब सुबह होगी, लाल रंग स्वागत करेगा..

अनामिका की सदायें ...... Thu Jun 14, 08:59:00 pm  

bhaavo ki sunder abhivyakti.

insaan chaahe to sab kuchh badal sakta hai.....jahan chaah...vahaan...raah.

mridula pradhan Thu Jun 14, 09:17:00 pm  

कहाँ से लाऊं मैं
वो इंद्र्धनुष
रंगों की सुर्खी भी
मन रंगती नहीं है ॥....bhawon ka utkarsh hai ye....

विभा रानी श्रीवास्तव Thu Jun 14, 09:34:00 pm  

कहाँ से लाऊं मैं

वो इंद्र्धनुष

रंगों की सुर्खी भी

मन रंगती नहीं है ॥

क्या हुआ .... ?? अवसाद में रँगी अभिव्यक्ति क्यों .... ??

लोकेन्द्र सिंह Thu Jun 14, 10:22:00 pm  

भावपूर्ण रचना.... अपुन तो नि:शब्द

ताऊ रामपुरिया Fri Jun 15, 08:53:00 am  

जीवन में अक्सर ऐसा भी समय आता है लेकिन इसका दूसरा हिस्सा भी नजदीक ही है, बहुत खूबसूरत अल्फ़ाज से सजी रचना, शुभकामनाएं.

रामराम.

yashoda Agrawal Fri Jun 15, 10:12:00 am  

प्रणाम जीजी
क्यों दीदी क्या हुआ
कुछ तो बात है
जो ये दर्द उभरा है...
वो इंद्र्धनुष
रंगों की सुर्खी भी
मन रंगती नहीं है ॥

Kailash Sharma Fri Jun 15, 01:25:00 pm  

कहाँ से लाऊं मैं
वो इंद्र्धनुष
रंगों की सुर्खी भी
मन रंगती नहीं है ॥

....बहुत मर्मस्पर्शी सुन्दर अभिव्यक्ति...

ब्लॉ.ललित शर्मा Fri Jun 15, 06:49:00 pm  

बेहतरीन रचना,शुभकामनाएं


मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में

जहाँ रचा कालिदास ने महाकाव्य मेघदूत।

Mamta Bajpai Fri Jun 15, 08:25:00 pm  

रंग तो मन के समंदर में ही छुपे हैं ...
बस लगाओ डुबकी और भर लो दोनों मुठ्ठियाँ
.......फिर उछाल दो हवाओं में ताकि सराबोर हो जाए फिजा इन रंगों से ...............

डॉ. मोनिका शर्मा Sat Jun 16, 04:24:00 am  

गहरे भाव , संवेदनशील अभिव्यक्ति

वाणी गीत Sat Jun 16, 06:00:00 am  

जीवन का एक रंग यह भी सही ...वह नहीं रहा तो यह भी हमेशा नहीं रहेगा !

अनुभूति Sat Jun 16, 05:50:00 pm  

चाँद ने आज कोई
साजिश की है
चाँदनी भी आज
कहीं दिखती नहीं है
मन की झील पर
जो अक्स बना था
उसकी रंगत भी
अब खिलती नहीं है ,...
जीवन की परिवर्तन शीलता के साथ मन के भावों को अभिव्यक्त करती अत्यंत भाव पूर्ण रचना !!!

रचना दीक्षित Sun Jun 17, 08:43:00 am  

साजिशें कभी कामयाब होती लगती पर अंततः नहीं. जीवन के ऐसे क्षणों में मन के भावों पर नियंत्रण महत्वपूर्ण हो जाता है...

कुमार राधारमण Mon Jun 18, 03:00:00 pm  

मन न लगे तो आसमान,चांद,बादल,रंग- सब फीके!

Rachana Tue Jun 19, 01:39:00 am  

आसमां की रंगत कुछ
धूमिल सी है
बादलों की स्याही
कुछ कहती नहीं है sunder prayog bhavon me bahne se lage ham
badhai
rachana

Dr.NISHA MAHARANA Tue Jun 19, 07:18:00 am  

कहाँ से लाऊं मैं
वो इंद्र्धनुष
रंगों की सुर्खी भी
मन रंगती नहीं है....sahi bat jivan ke vividh rangon ko darshati lekhani.....

Dr (Miss) Sharad Singh Tue Jun 19, 02:28:00 pm  

कहाँ से लाऊं मैं
वो इंद्र्धनुष
रंगों की सुर्खी भी
मन रंगती नहीं है..

मन कोई और रंग चाहका है न !...गहन अनुभूतियों की सुन्दर अभिव्यक्ति ...

महेन्द्र श्रीवास्तव Wed Jun 20, 12:25:00 pm  

चाँद ने आज कोई
साजिश की है
चाँदनी भी आज
कहीं दिखती नहीं है

क्या कहने
सुंदर भाव

अजित गुप्ता का कोना Tue Jun 26, 12:43:00 pm  

यहां तो ब्‍लागिंग के बिना भी इन्‍द्रधनुष नहीं थे।

amrendra "amar" Wed Jun 27, 09:58:00 am  

बहुत ही सुन्दर रचना..
:-)

amrendra "amar" Wed Jun 27, 09:59:00 am  

बहुत ही सुन्दर रचना.

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" Sat Jun 30, 06:11:00 pm  

कहाँ से लाऊं मैं
वो इंद्र्धनुष
रंगों की सुर्खी भी
मन रंगती नहीं है ...bahut hee acchi rachna..indradhanush ke rang..prkrti ke sath chedchad se lupt ho gaye hain..sadar pranaam ke sath

Anju Sat Jun 30, 11:18:00 pm  

बादलों की स्याही
कुछ कहती नहीं है ....अह्ह्ह !!!!इंतज़ार का ये रंग ....ओर मायूसी ...दर्द सनी रचना .....

Pyar Ki Kahani Mon Dec 23, 04:12:00 pm  

Jeevan Toh Man Ka Pravah Hai, Kabhi Is Karvat Toh Kabhi Is Karvat.

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