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सिहरन .....

>> Tuesday 14 December 2010

रूखसार पर ढुलका 
पलक का इक बाल 
चुटकी से पकड़ 
रख दिया था 
तुमने मेरी 
उल्टी बंद 
मुट्ठी पर 
और कहा था कि
मांग लो 
जो मांगना है ,
बस यह पल 
यहीं ठहर जाए 
यही ख़याल आया था .
और फिर तुमने 
अपनी फूंक से 
उड़ा दिया था उसे .
आज भी मेरी 
मुट्ठी पर 
तेरी फूंक की सिहरन 
चस्पां  है ..





84 comments:

shikha varshney Tue Dec 14, 07:08:00 pm  

ओह हो हो दि ! सच में सिहरन सी दौड गई....एक दम मखमल सी मुलायम प्यारी सी कविता है...जिसे बार बार पड़ने को मन करता है.
मन कर रहा है एक फूंक यहीं मार कर मैं भी कुछ मांग लूं :)

ashish Tue Dec 14, 07:18:00 pm  

इत्ती सोणी प्यारी सी छुई मुई सी कविता . ऐसा लग रहा है जैसे लरजते होठ कुछ कहने वाले थे लेकिन फूंक ने सपने से जगाया और प्यार वाली सिहरन सी दौड़ गयी .

JAGDISH BALI Tue Dec 14, 07:19:00 pm  

ग़ज़ब की नाज़ुकी कि इन पंक्तियों में !

ब्लॉ.ललित शर्मा Tue Dec 14, 07:19:00 pm  

बहुत बारीकी से मनोभावों को संजोया है।

शुभकामनाएं

Anonymous Tue Dec 14, 07:29:00 pm  

awwwww......beautiffful....

kinni kamaal ki nazm hai dadi....love u

'wish' yaad hai aapko....bilkul aisi hi ek maine likhi thi ;)

रश्मि प्रभा... Tue Dec 14, 07:30:00 pm  

आज भी मेरी
मुट्ठी पर
तेरी फूंक की सिहरन
चस्पां है .kya kahun

Kunwar Kusumesh Tue Dec 14, 07:38:00 pm  

आज भी मेरी
मुट्ठी पर
तेरी फूंक की सिहरन
चस्पां है .

मन के भावों से लबरेज़ सुन्दर कविता

Arvind Jangid Tue Dec 14, 07:48:00 pm  

हर चीज उडती नहीं हैं, अपनी पहचान छोड़ जाती हैं... सुन्दर रचना! साधुवाद स्वीकार करें.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने Tue Dec 14, 07:48:00 pm  

संगीता दी!
जितनी कोमल पलकें और उसको फूंक की सिहरन..उतनी ही कोमल नज़्म!!
बंद आँखों से महसूस करने की कोशिश कर रहा हूँ!!

रचना दीक्षित Tue Dec 14, 07:52:00 pm  

ग़ज़ब!!!!!! बेहद कोमल से अहसास

संगीता पुरी Tue Dec 14, 07:56:00 pm  

बहुत प्‍यारी कोमल सी रचना !!

कडुवासच Tue Dec 14, 08:36:00 pm  

... bahut sundar ... adbhut bhaav !!!

डॉ टी एस दराल Tue Dec 14, 08:54:00 pm  

बस यह पल
यहीं ठहर जाए

महसूस तो ऐसा ही होता है । लेकिन पल कभी ठहरता नहीं ।
सुन्दर कोमल अहसास ।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Tue Dec 14, 09:01:00 pm  

आज भी मेरी
मुट्ठी पर
तेरी फूंक की सिहरन
चस्पां है ..
kyaa kahne, laazabaab Sangeeta ji

Sadhana Vaid Tue Dec 14, 09:34:00 pm  

कोमलतम अहसासों से सजी बहुत ही प्यारी रचना है संगीता जी ! वह फूँक तो उसी पल वातावरण में विलीन हो गयी होगी लेकिन उस फूँक का अहसास सालों बाद आज भी आपकी मुट्ठी पर कैसे और क्यों जीवंत है यही तो जादू है जिसे कोई समझ नहीं पाया ! बहुत ही सुन्दर रचना !

Avinash Chandra Tue Dec 14, 10:00:00 pm  

आज भी मेरी
मुट्ठी पर
तेरी फूंक की सिहरन
चस्पां है ..


:) खुशबू है इन शब्दों में...

सु-मन (Suman Kapoor) Tue Dec 14, 10:20:00 pm  

बहुत सुन्दर.......... शब्दों में जान डाल दी...

प्रवीण पाण्डेय Tue Dec 14, 10:22:00 pm  

कोमलता से गहरी बात कह गयीं आप।

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι Tue Dec 14, 10:38:00 pm  

आज भी तेरे फ़ूंक की सिहरन मुठ्ठी में चस्पा है,
ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति , बधाई।

सूबेदार Tue Dec 14, 11:20:00 pm  

बहुत सुन्दर कबिता एक अच्छा अहसास धन्यवाद.

डॉ. मोनिका शर्मा Tue Dec 14, 11:49:00 pm  

आज भी मेरी
मुट्ठी पर
तेरी फूंक की सिहरन
चस्पां है .

बहुत ही सुंदर..... मन को छूती पंक्तियाँ

राज भाटिय़ा Wed Dec 15, 12:00:00 am  

बहुत ही सुंदर कविता जी, धन्यवाद

दीपक 'मशाल' Wed Dec 15, 02:00:00 am  

Yaden yaad aatee hain...... sundar rachna

Anonymous Wed Dec 15, 07:33:00 am  

आपकी पोस्ट की रचनात्मक सौम्यता को देखते हुए इसे आज के चर्चा मंमच पर सजाया गया है!
http://charchamanch.uchcharan.com/2010/12/369.html

Anonymous Wed Dec 15, 09:23:00 am  

संगीता जी,

बस एक लफ्ज़ कहूँगा इस पोस्ट पर.....सुभानाल्लाह......बहुत खूब|

अजित गुप्ता का कोना Wed Dec 15, 09:57:00 am  

वाह क्‍या अहसास है? ऐसी रूमानियत की कल्‍पना के क्‍या कहने?

Swarajya karun Wed Dec 15, 10:31:00 am  

नाज़ुक भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति.

स्वप्निल तिवारी Wed Dec 15, 10:55:00 am  

mumma....aap bhi gulzaarish ho gayeen hain ... hehehe ...bahut sundar nazm hui hai...

दिपाली "आब" Wed Dec 15, 11:30:00 am  

kya baat hai masi.. Inni sweet si nazm hai.. Kya image pakdi hai.. Beautiful

vandana gupta Wed Dec 15, 12:01:00 pm  

आज भी मेरी
मुट्ठी पर
तेरी फूंक की सिहरन
चस्पां है ..

बडी ही खूबसूरती से अहसासों को पिरोया है………ख्याल बहुत ही उम्दा है दिल मे उतर गया।

सदा Wed Dec 15, 12:14:00 pm  

भावमय करते यह शब्‍द ....हमेशा की तरह अनुपम प्रस्‍तुति ।

Khare A Wed Dec 15, 12:51:00 pm  

आज भी मेरी
मुट्ठी पर
तेरी फूंक की सिहरन
चस्पां है ..

kya baat he Di,
behad khoobsurat , dil ke pass

रेखा श्रीवास्तव Wed Dec 15, 12:53:00 pm  

कितनी बारीकी से जिया है वो पल और उससे अधिक शिद्दत से उसको शब्दों में ढाल दिया. क्या बात है?

मनोज कुमार Wed Dec 15, 01:25:00 pm  

कोमल अहसास की सुंदरभिव्यक्ति।

अनामिका की सदायें ...... Wed Dec 15, 02:11:00 pm  

bas is rachna ko padh kar us ehsaas ki kalpana kar rahi hun.
kayi ehsaas kaise hote hain...jo bas man ki divaron se chipak kar rah jate hain....sunder rachna.

रंजना Wed Dec 15, 03:50:00 pm  

ओह...लाजवाब !!!

और क्या कहूँ???

rashmi ravija Wed Dec 15, 04:24:00 pm  

:) प्यारे से अलफ़ाज़ में ढले प्यारे अहसास

Udan Tashtari Wed Dec 15, 04:32:00 pm  

ओह! बहुत कोमल!!

उपेन्द्र नाथ Wed Dec 15, 04:54:00 pm  

संगीता जी....... बहुत ही प्यारे एहसाहह भरे है कविता में... दिल को छू लिए..

अनुपमा पाठक Wed Dec 15, 07:50:00 pm  

कोमल एहसासों को शब्द मिले हैं !!!

पूनम श्रीवास्तव Wed Dec 15, 08:49:00 pm  

sangeeta di
ek khoobsurat ehsas se man ko bhr gai aapki pyaari si kavita.
मुट्ठी पर
और कहा था कि
मांग लो
जो मांगना है ,
बस यह पल
यहीं ठहर जाए
यही ख़याल आया था .
aaj bhi kabhi kabhiaisa hota jab ham bachcho ki tarah jhat kahte hain mang li jo mangoge vo mil jayega.
behad pasand aai aapki yah post.
poonam

PRIYANKA RATHORE Wed Dec 15, 09:58:00 pm  

आज भी मेरी
मुट्ठी पर
तेरी फूंक की सिहरन
चस्पां है ..

bhut sundar....

Dr Varsha Singh Wed Dec 15, 10:19:00 pm  

फूंक की सिहरन चस्पां है.... बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई .

लोकेन्द्र सिंह Thu Dec 16, 12:29:00 am  

प्यार भरा अहसास है.... वह पल यूँ ही ठहर जायें, यही सब मांगते

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) Thu Dec 16, 01:56:00 am  

काश ऐसे माँगने से वो सब मिल जाएँ, हमें तो सुकून जरूर मिलता था जब कभी ये किया करते थे.

Deepak Saini Thu Dec 16, 12:10:00 pm  

मन को छू गयी ये कोमल से अहसास वाली कविता

Aruna Kapoor Thu Dec 16, 02:19:00 pm  

मांग लो
जो मांगना है ,
बस यह पल
यहीं ठहर जाए
यही ख़याल आया था कितनी सुंदर कल्पना!...बहुत ही सुंदर शब्दों का संगम!

निवेदिता श्रीवास्तव Thu Dec 16, 10:14:00 pm  

उस फ़ूंक की सिहरन
बस यह पल
वाकयी चस्पां हो गयी
बधायी !

डॉ० डंडा लखनवी Fri Dec 17, 11:48:00 am  

भावपूर्ण लेखन के लिए बधाई।
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

Kailash Sharma Fri Dec 17, 03:35:00 pm  

जीवन में सभी के साथ घटे एक साधारण खेल को इतने भावपूर्ण कोमल शब्दों में अहसास कराना वास्तव में आप की काव्यक्षमता को दर्शाता है..आभार

M VERMA Fri Dec 17, 07:57:00 pm  

आज भी मेरी
मुट्ठी पर
तेरी फूंक की सिहरन
चस्पां है ..
उस फूंक की सिहरन को स्थायी हो जाने की अनुमति तो मिलनी ही चाहिये .. शायद ऐसे ही कुछ पल और अनुभूतियाँ ही तो जीवन के आधार होते हैं.
लाजवाब और अत्यंत नाजुक सी रचना.

Dev Sat Dec 18, 04:22:00 pm  

lajwaab prastuti....ek ek shabd apne aapko byaan kar rahen hain

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Sat Dec 18, 04:59:00 pm  

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !

प्रेम सरोवर Sat Dec 18, 06:18:00 pm  

मर्मस्पर्शी पोस्ट। मन को आंदोलित कर गया।मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।

Prerna Sat Dec 18, 10:19:00 pm  

बेहद खूबसूरत नज़्म.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून Sun Dec 19, 12:25:00 am  

सुंदर मनोभावों की सशक्त अभिव्यक्ति.

दिगम्बर नासवा Sun Dec 19, 03:44:00 pm  

उफ़ ... बस निःशब्द हूँ ... महसोस कर रहा हूँ ..

Suman Sinha Sun Dec 19, 04:17:00 pm  

pyaar ka ehsaas hamesha saath hota hai, bilkul is foonk ki tarah...

अरुणेश मिश्र Sun Dec 19, 06:52:00 pm  

संवेदनशील रचना ।

ज्ञानचंद मर्मज्ञ Mon Dec 20, 01:01:00 pm  

वाह संगीता जी,
"आज भी मेरी
मुट्ठी पर
तेरी फूंक की सिहरन
चस्पां है .."
पढ़ते हुए अहसास की सिहरन जैसे नस नस में दौड़ जाती है !
शब्द जैसे अर्थ के सीमा को पार कर गए हैं !
इतनी गहन अभिव्यक्क्ति !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

संध्या शर्मा Mon Dec 20, 03:06:00 pm  

bahut sundar rachna...
ek khoobsoorat sa ahsaas...

ManPreet Kaur Mon Dec 20, 05:20:00 pm  

very nice...
mere blog par bhi kabhi aaiye
Lyrics Mantra

रानीविशाल Tue Dec 21, 08:02:00 am  

वाह ! बेहद खूबसूरती से कोमल भावनाओं को संजोया इस प्रस्तुति में आपने ...

Dr (Miss) Sharad Singh Tue Dec 21, 09:23:00 pm  

भावपूर्ण सुन्दर रचना।

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) Wed Dec 22, 08:21:00 am  

बस यह पल
यहीं ठहर जाए
यही ख़याल आया था .

bahot khoobsurat khyaal hai...

वीना श्रीवास्तव Wed Dec 22, 08:27:00 pm  

बहुत खूब...क्या कहने इस रचना के...

Amrita Tanmay Thu Dec 23, 08:16:00 pm  

सिहरन के साथ पल का ठहरना ... मन को छू गया ..आपको बधाई

POOJA... Fri Dec 24, 11:07:00 am  

ह्म्म्म... बहुत ही प्यारी रचना...
न जाने कितनी बार अपलक पढ़ गई...
अन्दर तक उतर गई...

RADHIKA Mon Dec 27, 01:04:00 pm  

I can just say "Great"!

***Punam*** Tue Dec 28, 09:21:00 am  

बहुत सुंदर!!यही फूंक की सिहरन का एहसास ही तो जिंदगी है.हम हर एहसास को इसी शिद्दत से महसूस करे तो क्या बात है!! फिर सामने कोई हो या न हो!!

Anonymous Tue Dec 28, 12:58:00 pm  

"आज भी तेरे फ़ूंक की सिहरन मुठ्ठी में चस्पा है"|

बहुत ही बढियाँ चित्रण|खूबसूरत और कोमल रचना है|
शुभकामनाएं,
मानस खत्री

Mohinder56 Wed Dec 29, 12:10:00 pm  

ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना

धीरेन्द्र सिंह Sun Jan 16, 10:30:00 am  

फूंक की इतनी व्यापक और गहरी वाख्या मन को झंकृत कर देती है. कविता अंत में इतनी तीव्र उडान भरती है कि मन बावरा हो जाता है, अपने किसी ऐसे ही नाजुक खयालों से लिपट.

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति Sun Jan 23, 08:24:00 pm  

वाह !! क्या कमाल लिखा संगीता जी .. बचपन याद दिला दिया .. सादर

Anupriya Mon Jan 24, 11:37:00 am  

bahot sundar...sajiw prastuti...

Rajeysha Fri Feb 18, 05:19:00 pm  

इस नाजुक कवि‍ता के बाद एक हकीकत बयानी यहां http://rajey.blogspot.com/ देखें।

Maheshwari kaneri Thu Jun 09, 04:09:00 pm  

आज भी मेरी
मुट्ठी पर
तेरी फूंक की सिहरन
चस्पां है .
सुन्दर अभिव्यक्ति् धन्यवाद

रफ़्तार

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