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भटकन ....

>> Wednesday 12 May 2010



ख्वाब -


ज्यों  ओस की बूंद 

हाथ लगाओ तो 

पानी बन जाती है 

हकीकत का ताप 

देता है सुखा 

और हम 

ज़िन्दगी के 

रेगिस्तान में 

भटकते रह जाते हैं .








43 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा Wed May 12, 07:03:00 pm  

अच्छी कविता है हकीकत से रुबरु कराती हुई।

अनामिका की सदायें ...... Wed May 12, 07:07:00 pm  

दिल के भीतर छुपे एहसासों को उकेरती हुई रचना.
बधाई.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" Wed May 12, 07:09:00 pm  

हमेशा की तरह चंद लफ्जों में बहुत ऊँची बात , संगीता जी

संजय भास्‍कर Wed May 12, 07:10:00 pm  

... बेहद प्रभावशाली

kshama Wed May 12, 07:17:00 pm  

Aapki rachnayen moti kya, heere manik bikher deteen hain!

महेन्द्र मिश्र Wed May 12, 07:19:00 pm  

चंद लफ्जों में अच्छी प्रभावशाली कविता...

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" Wed May 12, 07:19:00 pm  

वाह ! क्या खूब ! बहुत सुन्दर रचना ! ख्वाब पर भरोसा नहीं ... पर ख्वाब ज़रूरी भी है !

shikha varshney Wed May 12, 07:37:00 pm  

aah hamesha dukhti rag par haath rakh deti ho ...bhatak hi to rahe hain kab se :)

Mithilesh dubey Wed May 12, 07:46:00 pm  

वाह जी क्या बात है , बहुत बड़ी बात कह दी आपने चंद शब्दो में ।

रश्मि प्रभा... Wed May 12, 09:22:00 pm  

कम शब्द और पूरा आकाश

रावेंद्रकुमार रवि Wed May 12, 09:24:00 pm  

इस तरह की रचनाएँ लिखने में तो आप
सिद्धहस्त होती जा रही हैं!
--
पुन: एक सारगर्भित कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद!
--
बौराए हैं बाज फिरंगी!
जन्म-दिवस पर मिला : मुझे एक अनमोल उपहार!
मुझको सबसे अच्छा लगता : अपनी माँ का मुखड़ा!

डॉ टी एस दराल Wed May 12, 09:46:00 pm  

हकीकत और भ्रम --कम शब्दों में बखूबी बयाँ।

M VERMA Wed May 12, 10:23:00 pm  

बहुत सुन्दर उपमाएँ और भाव

चैन सिंह शेखावत Wed May 12, 10:40:00 pm  

.प्यारी सी कविता के लिये बधाई और शुभकामनाएँ.

मनोज कुमार Wed May 12, 10:44:00 pm  

ख़्वाब का हक़ीक़त से सामना जब होता है तो भटकन ही तो नसीब में भटकन ही तो होता है।

Deepak Shukla Wed May 12, 11:18:00 pm  

Hi..

Sangita di..

Kam shabdon main badi baat,
kahne ki fitrat paayi hai..
Bhavon ki savita har kavita,
main dikhi smaayi hai..

Wah..

DEEPAK..

Deepak Shukla Wed May 12, 11:18:00 pm  
This comment has been removed by the author.
Deepak Shukla Wed May 12, 11:19:00 pm  
This comment has been removed by the author.
दिगम्बर नासवा Wed May 12, 11:47:00 pm  

Kam shabdon mein gahri baat ... khwaab os ki boond ki tarah bikhar jaate hain ..

सम्वेदना के स्वर Wed May 12, 11:56:00 pm  

वास्तविकता के मरूस्थल में स्वप्न की मरीचिका का आभास और आपका बयान… एकदम सटीक चित्रण.

Tej Thu May 13, 12:13:00 am  

aacha bhao jagaya aap ne.

Anonymous Thu May 13, 12:14:00 am  

bahut khub kaha aapne...
behatreen rachna...
mere blog par jaane kyun udaas hai mann...
jaroor aayein
http://i555.blogspot.com/

Urmi Thu May 13, 12:22:00 am  

बहुत ही सुन्दर और प्रभावशाली कविता! कम शब्दों में सुन्दर एहसास के साथ लाजवाब कविता लिखा है आपने!

आदेश कुमार पंकज Thu May 13, 07:01:00 am  

बहुत प्रभावशाली
http:// adeshpankaj.blogspot.com/
http:// nanhendeep.blogspot.com/

राजभाषा हिंदी Thu May 13, 07:47:00 am  

हकीकत का ताप

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

kunwarji's Thu May 13, 10:53:00 am  

समन्दर को

आगोश में ले लिया है

और कहते है

कि भगवान ने

बाहें बहुत छोटी बनायी है!

बहुत खूब जी!बहुत सुन्दर!

कुंवर जी,

Akanksha Yadav Thu May 13, 11:26:00 am  

बहुत खूब लिखा अपने...कम शब्दों में बड़ी बात ...सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई !!

अरुणेश मिश्र Thu May 13, 12:08:00 pm  

एक कविता का आनन्द आया ।

vandana gupta Thu May 13, 12:26:00 pm  

क्या कहूँ………निशब्द कर दिया है।बहुत ही गहन अभिव्यक्ति।

36solutions Thu May 13, 02:17:00 pm  

बूंद बने सागर.

धन्‍यवाद.

रचना दीक्षित Thu May 13, 04:54:00 pm  

ये तो रेत का समंदर है मुझे तो हर बार गलत दिशाओं में भटका ही देता है

दीपक 'मशाल' Thu May 13, 06:29:00 pm  

सुन्दर चित्र के साथ नन्ही सी मगर लाजवाब कविता..

Taru Thu May 13, 07:37:00 pm  

bahut acchi chhutku nazm hai mummaaaaaaa..:)

पश्यंती शुक्ला. Fri May 14, 03:43:00 pm  

गागर में सागर...बिहारी की याद आ गई संगीता जी.

निर्झर'नीर Fri May 14, 04:19:00 pm  

वाह जी वाह ..जितनी सुन्दर और कशिश कविता में है उससे भी ज्यादा इस तस्वीर में है
शब्द नहीं जिनसे तारीफ़ कर सकूं

rashmi ravija Fri May 14, 05:36:00 pm  

बिलकुल गागर में सागर भर दिया है...बहुत ही गहन अभिव्यक्ति

Akshitaa (Pakhi) Fri May 14, 05:38:00 pm  

प्यारी सी कविता और प्यारा सा चित्र...बढ़िया है.
__________________
'पाखी की दुनिया' में- जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा !!

Mrityunjay Kumar Rai Sun May 16, 12:00:00 pm  

बहुत ही गहन अभिव्यक्ति




http://madhavrai.blogspot.com/

http://qsba.blogspot.com/

कविता रावत Mon May 17, 06:02:00 pm  

कम शब्द बेहतर चित्रमय प्रस्तुति के लिए धन्यवाद

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